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Showing posts from 2019

आप मोदी विरोधी क्यों हैं ? : पूजा श्रीवास्तव

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आखिर आप मोदी कितना विरोध क्यों करते हो ? ये एक ऐसा सवाल है जो मुझसे अनगिनत बार पुछा जाता है। कभी मुझे कांग्रेसी  तो  कभी  कम्युनिस्ट घोषित किया जाता है और कभी कभी तो  देशद्रोही। ये एक अजीब सी स्थिति है जहाँ सत्ता और सरकार की आलोचना करने का अर्थ या तो किसी अन्य पार्टी के समर्थक होना है या देशद्रोही होना है , जहाँ आपके एक निष्पक्ष और जागरूक नागरिक होने की सारी संभावनाओं को ख़ारिज  कर दिया जाता है। ये निश्चित एक भयावह स्थिति है जहाँ आपके एक नागरिक होने के अधिकार और संभावना को छीना जा रहा है और आपको एक पार्टी या विचारधारा से ज़्यादा एक व्यक्ति का पपेट बनने पर मजबूर किया जा रहा है क्योंकि अगर आप पपेट नहीं हैं तो देश द्रोही हैं।                                                             २०१४ में जब मोदी जी  को प्रधानमंत्री के प्रत्याशी के रूप में प्रस्तुत किया...

शक्ति की आराधना का उत्सव और शक्ति का उपहास : पूजा श्रीवास्तव

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        नवरात्रि का आरम्भ हो चुका  है। नवरात्रि यानि भक्ति का उत्सव , शक्ति की आराधना का उत्सव।  भक्तिमय माहौल में घरों और मंदिरों में देवी की आराधना हो रही है। शक्ति पूजन के इस उत्सव में ये देखना बेहद प्रासंगिक है कि हमारी अपनी मानसिकता स्त्रियों को लेकर किस तरह की है ? विशेषकर यदि उस स्त्री से हमारा किसी भी प्रकार का वैचारिक मतभेद है। आइये देखते हैं डिजिटल इंडिया के इस दौर में महिलाओं खासकर उन तीन महिलाओं के बारे में किस प्रकार की टिप्पणी की  जाती रही है  जो राजनीति के क्षेत्र में अपना एक ख़ास मुकाम रखती हैं।                                            सबसे पहले बात सोनिया गाँधी की। भारत के सबसे मज़बूत और ख़ास  राजनैतिक घराने की बहू  के रूप में सोनिया गाँधी तब तक सेफ़  थीं  जब तक वो राजनीति  के मैदान में नहीं कूदी थीं। राजनीति में उतरते ही उनके भूत ,वर्तमान और भविष्य की जड़ें खोदी जाने लगीं। उनके हिंदी उ...

उत्तर प्रदेश की चुनावी खिचड़ी

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बुआ और बबुआ का चुनावी कनेक्शन   P.C:Google किस्सा कुर्सी का .....जी हाँ यह सारा किस्सा कुर्सी का ही है, जिसके लिए दुश्मन भी दोस्त बन जाते हैऔर जिन बुआ- बबुआ की बात हम कर रहे है , वो यूपी की राजनीति के दो प्रमुख चेहरे मायावती और अखिलेश है | बुआ और बबुआ का प्यार देख कर कौन कहेगा कि कभी मायावती ने सपा से कभी हाथ न मिलाने की घोषणा की थी | खैर वो भी एक दौर था जब मुलायम सिंह सपा के सुप्रीमो हुआ करते थे | तब 1995 में मायावती के ऊपर गेस्ट हाउस कांड हुआ था, मायावती ने इसके लिए मुलायम सिंह पर आरोप लगाया था और कभी एक दूसरे का मुँह न देखने की बात कही थी | समय बदल चुका है और मौके का दस्तूर समझना भी जरूरी है कि दुश्मन भी दोस्त समय की जरूरत है | वो कहते है न दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है और राजनीति में कब दुश्मन दोस्त और दोस्त दुश्मन हो जाए कहा नहीं जा सकता | पुरानी बातो पर मिट्टी डालते   हुए, बुआ जी ने पुराने सभी गिलेसिकवे भुलाकर अपने भतीजे को गले लगा लिया | अब नया इतिहास रचा जाएगा, लोकसभा चुनाव नजदीक है और ऐसे में इस गठबंधन का इतिहास देखना भी जरूरी है | यह बात 25 साल ...