सिंगल महिलाओं का सोशल स्टेटस : रीतिका शुक्ला

हम ऐसे समाज का हिस्सा हैं, जो पितृसत्तात्मक सोच की विचारधारा से प्रभावित है । आसान शब्दों में कहे तो, पुरुष को हमेशा से महिलाओं से श्रेष्ठ समझा जाता है और महिलाओं के जीवन पर पुरुषों का नियंत्रण होता है । हमने उन्हे हमेशा से सिर्फ एक आदर्श के रूप में देखना चाहा । यही वजह है कि सिंगल महिला को लेकर हमारा समाज अभी भी सहज नहीं हो पाया है । वैसे तो भारत में सिंगल लेडी या अकेले रहने वाली महिलाओं की अवधारणा अपेक्षाकृत नई है, और समाज अभी भी इसे समझ नही पाया है । अभी भी समझा जाता है कि महिला को किसी न किसी पुरुष के साथ की आवश्यकता होती है, फिर चाहे वो पिता, पति हो या बेटा के रूप में हो । एक महिला के अकेले रहने से उससे ज्यादा परेशानी दूसरे लोगों को होती है । अगर आप भी एक सिंगल लेडी है, तो आपने भी इन सवालों का सामना जरूर किया होगा कि बेटा अब शादी की उम्र हो गई है, शादी कब करोगी या हम जब तुम्हारी ऐज के थे, तब तक तो हमारे दो बच्चे भी हो चुके थे । ऐसे कई डॉयलाग आपने भी जरूर सुने होगे । वैसे तो शादी करना या नहीं करना एक महिला का निजी फैसला है । एक महिला अपनी जिंदगी के सभी फैसले लेने के लिए स्वतंत...