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विषाक्त मर्दानगी (Toxic Masculinity) के पुरुषों पर साइड इफेक्ट

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    Photo for representational purposes only रीतिका शुक्ला   विषाक्त मर्दानगी  (toxic masculinity) हमारे समाज की बहुत पुरानी धारणा है। यह अवधारणा ऐतिहासिक रूप से लिंग रूढ़ियों से जुड़ी हुई है। इसी के अनुरूप ही पुरुषों की मर्दानगी वाली छवि भी बनी हुई है । हालांकि कई ब्रांडस ने इस सोच को अब पुरुषों की इस छवि को बदलने का प्रयास कर रहे है।  ऐसे में विषाक्त मर्दानगी पर चर्चा होना बेहद जरूरी है, क्योंकि यह सोच हमारे समाज और स्वयं पुरुषों को नुकसान पहुंचाती हैं । यह सोच कहीं न कहीं सामाजिक रूप से पुरुषों से जुड़ी पारंपरिक रूढ़ियों जैसे जेंडर रोल और होमोफोबिया से जुड़ी हुई है और यह हिंसा को बढ़ावा देने के कारण "विषाक्त" मानी जाती है । पितृसत्तात्मक समाज में लड़कों का समाजीकरण अक्सर हिंसा को सामान्य कर देता है । उनके हिंसात्मक रवैये और आक्रामकता को भी उनकी मर्दानगी से जोड़ा जाता है । हमारी सोसाइटी में “Men will be Men” समझा जाता है । हमारे समाज में मर्दानगी को लेकर बहुत बड़ा टेबू है कि मर्द को दर्द नहीं होता। उनको बचपन से ही सिखाया जाता है कि वो आदमी है और वो लड़किय...