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Showing posts from 2017

सबसे ख़तरनाक- पाश

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  जिसका विज़न, जिसका चिंतन  अपने देश काल का जितनी दूर तक अतिक्रमण कर सकने में सक्षम होता है वो कवि , वो विचारक उतनी ही सदियो तक लोगों के दिलों, उनकी स्मृतियों में  ज़िंदा रहता है।  पाश भी एक ऐसे ही कवि हैं। उनकी कवितायेँ आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी कि उस वक़्त रही होंगी जब लिखी गई होंगी। आज पाश के जन्मदिन पर उनकी एक कविता, जिसे खूब पढ़ा और गाया जाता  रहा है, लेकिन फिर भी जिसे अपने ब्लॉग के ज़रिये शेयर करने का मोह मैं नहीं छोड़ पाई।  इस कविता की एक एक पंक्ति मूलयवान और प्रासंगिक है। पढ़ें  मेहनत की लूट सबसे ख़तरनाक नहीं होती पुलिस की मार सबसे ख़तरनाक नहीं होती ग़द्दारी और लोभ की मुट्ठी सबसे ख़तरनाक नहीं होती बैठे-बिठाए पकड़े जाना बुरा तो है सहमी-सी चुप में जकड़े जाना बुरा तो है सबसे ख़तरनाक नहीं होता कपट के शोर में सही होते हुए भी दब जाना बुरा तो है जुगनुओं की लौ में पढ़ना मुट्ठियां भींचकर बस वक्‍़त निकाल लेना बुरा तो है सबसे ख़तरनाक नहीं होता सबसे ख़तरनाक होता है मुर्दा शांति से भर जाना तड़प का न ह...

मुस्लिम महिलाओं को मिली 1000 साल पुरानी कुप्रथा से आजादी....

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रीतिका शुक्ला  सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक पर अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया, जिसकी वाह-वाह भी बहुत हुई कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतान्त्रिक देश भारत में मुस्लिम महिलाओं ने इतने लंबे समय बाद तीन तलाक के मसले पर अपने हक की लड़ाई जीत ली है। ताज्जुब की बात तो यह है कि भारत में जिस तीन तलाक पर अब फैसला सुनाया गया है, वह दुनिया के 22 देशो में पहले से पूरी तरह बैन है। अच्छी बात यह है कि इस सूची में  बांग्लादेश, सीरिया, पाकिस्तान सहित कई मुस्लिम देश भी शामिल हैं। प्रेरणा लेने वाली बात यह है कि कई देशों में तो मुस्लिम जजों की खंडपीठ ने महिलाओं का दर्द समझा और यह फैसला लिया।     एक बार में तीन तलाक के मुद्दे पर पांच महिलाओ शायरा बानो, गुलशन परवीन, आफ़रीन, आतिया साबरी, इशरत की जंग की जीत हुई। बात सिर्फ एक या पाँच महिलाओ का नहीं है, बात है महिलाओ के मौलिक अधिकारों के हनन का है। यहो  भी साफ़ एक बात साफ़ है कि पुरुषों को सब अधिकार जन्म से मिलते है, जबकि महिलाओ को अपने अधिकारों की लड़ाई लड़नी पड़ती है। पूरा देश ने इस फैसले का स्वागत किया, इसमें वो लोग ...

विचारो की शक्ति से बदले जीवन

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रीतिका  शुक्ला "हम जैसा सोचते हैं वैसा ही बन जाते हैं" विचारों में एेसी शक्ति होती है जो इन्सान से कुछ भी करा सकती है। एक अच्छा विचार किसी डूबते हुए व्यक्ति की जिंदगी का सहारा बन सकता है। एक विचार ही इन्सान को दुर्जन से सज्जन और सज्जन से दुर्जन बना सकता है।  एक विचार ही तो  किसी मरते हुए इन्सान को जिंदगी की उम्मीद  दे सकता है। कभी सिर्फ किसी का कहा हुआ एक शब्द ही किसी की जिंदगी को पूरा बदल सकता है। एक विचार सभी के सोचने के तरीके को बदल देता है। जब कोई भाव बार-बार आँखों के सामने आते है तो वो दिमाग में छप जाते है। इसीलिए आज हम कुछ प्रेरणादायक बहुमूल्य विचारों को आपके साथ बांटेंगे जो आपके जीवन में एक नई रोशनी की किरण लाएगें। 1. जब सारा संसार कहता है कि  हार मान लो, तब उम्मीद आपसे कहती है कि  एक बार और कोशिश करो। हार और गलतियां आशीर्वाद  की तरह होती हैं, जो जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। 2.कभी भी उस व्यक्ति का विश्वास न तोड़े , जिसने आप पर तब विश्वास किया हो , जब कोई भी आपका साथ नहीं था। विश्वास को बनाने में...

इम्तियाज़ अली के अंदर एक बंजारा रहता है

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पिछले कई दिनों से इम्तियाज़ अली की नई फिल्म " जब हैरी  मेट सेजल "के प्रोमोज टी वी पर छाए  हुए हैं।  फिल्म का शीर्षक थोड़ा अलग  तो है ही साथ ही ये इम्तियाज़ अली की जब वी मेट की याद दिलाती है। सुना है फिल्म में शाहरुख़ एक टूरिस्ट  गाइड की भूमिका में हैं। देखना ये है  कि इम्तियाज़ इस फिल्म में  अपनी यायावरी और बंजारेपन  का कौन सा रंग दिखाते हैं।  इम्तियाज़ की फिल्म से  ऐसी अपेक्षा लाज़िमी है क्योंकि  इसके पहले इम्तियाज़ की सारी  फिल्मों में हमें एक ख़ास तरह का दर्शन देखने को मिलता रहा है। एक ख़ास तरह की सोच इनकी  फिल्मों के मूल में काम करती रही है।  इसमें तो कोई दो राय नहीं कि इम्तियाज़ की फिल्में लीक से हट कर होती है। ये बने बनाये फॉर्मूले पर कभी कभी काम नहीं करते। जब वी मेट से लेकर तमाशा तक हमें उनका ये अंदाज़ साफ़ तौर पर दिखाई देता है। मूलत:  इनकी फ़िल्में चरित्र प्रधान होती हैं। इन चरित्रों के ज़रिये कई बार  वो बहुत बड़ी बड़ी बातें कह जाते हैं। ...

आम्रपाली के नगरवधू से एक बौद्ध भिक्षुणी बनने तक का सफर ....

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 सदियों से महिलाओं को नीची दृस्टि से देखा जाता रहा है। उसकी आजादी का पुरुष प्रधान समाज में हनन होता रहा है . इस बात को स्पष्ट करने का ऐसा तो कोर्इ प्रमाण नहीं है कि समाज में महिलाओं की स्थिति गौण क्यों बनी हुर्इ है। महिलाओ के जीवन का फैसला आज भी कोई पुरुष ही लेता है . वह पुरुष कभी उसका पिता होता है या पति . यह महिलाओ के साथ आज से नहीं , बल्कि सदियों से हो रहा है। आज मै आप सबको ऐसी महिला की कहानी बताऊगी  जिसको इस पुरुष प्रधान समाज ने एक वेश्या बना दिया।  यह कहानी है भारतीय इतिहास की सबसे खूबसूरत महिला के नाम से विख्यात ‘ आम्रपाली ’ की , जिसे अपनी खूबसूरती की कीमत वेश्या बनकर चुकानी पड़ी। वह किसी की पत्नी तो नहीं बन सकी लेकिन संपूर्ण नगर की नगरवधू जरूर बन गई। खूबसूरती वो भी ऐसी जिसको देखने वाला उसको पाने के लिए कुछ भी कर गुज़रे लेकिन क्या कभी किसी ने आम्रपाली को जानने की कोशिश नहीं की कि वो क्या चाहती है।  आज मै ये प्रयास करुँगी की उसके मन के विचारो को आपके सामने रख सकू।   रीतिका शुक्ला आम्रपाली जिसकी ख़ूबसू...