आम्रपाली के नगरवधू से एक बौद्ध भिक्षुणी बनने तक का सफर ....

 सदियों से महिलाओं को नीची दृस्टि से देखा जाता रहा है। उसकी आजादी का पुरुष प्रधान समाज में हनन होता रहा है . इस बात को स्पष्ट करने का ऐसा तो कोर्इ प्रमाण नहीं है कि समाज में महिलाओं की स्थिति गौण क्यों बनी हुर्इ है। महिलाओ के जीवन का फैसला आज भी कोई पुरुष ही लेता है . वह पुरुष कभी उसका पिता होता है या पति . यह महिलाओ के साथ आज से नहीं , बल्कि सदियों से हो रहा है। आज मै आप सबको ऐसी महिला की कहानी बताऊगी  जिसको इस पुरुष प्रधान समाज ने एक वेश्या बना दिया। यह कहानी है भारतीय इतिहास की सबसे खूबसूरत महिला के नाम से विख्यातआम्रपालीकी, जिसे अपनी खूबसूरती की कीमत वेश्या बनकर चुकानी पड़ी। वह किसी की पत्नी तो नहीं बन सकी लेकिन संपूर्ण नगर की नगरवधू जरूर बन गई। खूबसूरती वो भी ऐसी जिसको देखने वाला उसको पाने के लिए कुछ भी कर गुज़रे लेकिन क्या कभी किसी ने आम्रपाली को जानने की कोशिश नहीं की कि वो क्या चाहती है।  आज मै ये प्रयास करुँगी की उसके मन के विचारो को आपके सामने रख सकू। 

 रीतिका शुक्ला

आम्रपाली जिसकी ख़ूबसूरती बनी उसके लिए अभिशाप

आम्रपाली बौद्ध काल में वैशाली के वृज्जिसंघ की इतिहास प्रसिद्ध लिच्छवि राजनृत्यांगना थी। इनका एक नाम 'अम्बपाली' या 'अम्बपालिका' भी है। आम्रपाली बेहद खुबसूरत थी और कहते हैं जो भी उसे एक बार देख लेता वह उसपर मुग्ध हो जाता था। अजातशत्रु भी उसके प्रेमियों में था और उस समय के उपलब्ध सहित्य में अजातशत्रु के पिता बिंबसार को भी गुप्त रूप से उसका प्रणयार्थी बताया गया है। आम्रपाली को लेकर भारतीय भाषाओं में बहुत से काव्य, नाटक और उपन्यास लिखे गए हैं।

 यह कहानी है भारतीय इतिहास की सबसे खूबसूरत महिला के नाम से विख्यात ‘आम्रपाली’ की, जिसे अपनी खूबसूरती की कीमत वेश्या बनकर चुकानी पड़ी। वह किसी की पत्नी तो नहीं बन सकी लेकिन संपूर्ण नगर की नगरवधू जरूर बन गई। आम्रपाली ने अपने  लिए ये जीवन स्वयं नहीं चुना था, बल्कि वैशाली में शांति बनाए रखने, गणराज्य की अखंडता बरकरार रखने के लिए उसे किसी एक की पत्नी बनाकर नगर को सौंप दिया गया।उसने सालो तक वैशाली के धनवान लोगों का मनोरंजन किया। आम्रपाली के जैविक माता-पिता का तो पता नहीं लेकिन जिन लोगों ने उसका पालन किया उन्हें वह एक आम के पेड़ के नीचे मिली थी, जिसकी वजह से उसका नाम आम्रपाली रखा गया। वह बहुत खूबसूरत थी, उसकी आंखें बड़ी-बड़ी और काया बेहद आकर्षक थी।  जो भी उसे देखता था वह उस पर मुग्ध हो जाता था . लेकिन उसकी यही खूबसूरती, उसका यही आकर्षण उसके लिए श्राप बन गया। एक आम लड़की की तरह वो भी खुशी-खुशी अपना जीवन जीना चाहती थी लेकिन ऐसा हो नहीं सका। वह अपने दर्द को कभी बयां नहीं कर पाई और अंत में वही हुआ जो उसकी नियति ने उससे करवाया। एक परिवार की ख्वाहिश सभी करते है लेकिन कुछ महिलाओ का यह सपना बस स्वप्न मात्र रह जाता है।
            आम्रपाली जैसे-जैसे बड़ी हुई उसका सौंदर्यता और बढ़ती गयी जिसकी वजह से वैशाली का हर पुरुष उसे अपनी दुल्हन बनाने के लिए बेताब हो गया । लोगों में आम्रपाली की दीवानगी इस हद तक गयी कि वो उसको पाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते थे और यह बहुत बड़ी समस्या थी।जिसे आम्रपाली के माता-पिता भी जानते थे कि आम्रपाली को जिसको भी सौपा गया तो बाकी के लोग उनके दुश्मन बन जाएंगे और वैशाली में खून की नदिया बह जाएंगी। इसीलिए वह किसी भी नतीजे पर नहीं पहुंच पा रहे थे। ये सुन के भी अचम्भा होता है कि किसी महिला के लिए लोग एक दूसरे का खून भी कर सकते है। इससे आम्रपाली की आजादी कही न कही छीनी जा रही थी। उसके जीवन का निश्चय कौन कर रहा था।

 हर किसी की ख्वाहिश तो आम्रपाली थी लेकिन आम्रपाली की ख्वाहिश क्या थी ? ये किसी को ज्ञात न था और शायद किसी के लिए यह इतना आवश्यक भी न हो। आम्रपाली किसकी बनेगी ? इस समस्या का हल खोजने के लिए एक दिन वैशाली में सभा का आयोजन हुआ। इस सभा में मौजूद सभी पुरुष आम्रपाली से विवाह करना चाहते थे जिसकी वजह से कोई निर्णय लिया जाना मुश्किल हो गया था। इस समस्या के समाधान हेतु अलग-अलग विचार प्रस्तुत किए गए लेकिन कोई इस समस्या को कोई सुलझा नहीं पाया। लेकिन अंत में जो निर्णय लिया गया उसने आम्रपाली की तकदीर को अंधेरी खाइयों में धकेल दिया। सर्वसम्मति के साथ आम्रपाली को नगरवधू यानि वेश्या घोषित कर दिया गया। ऐसा इसीलिए किया गया क्योंकि सभी जन वैशाली के गणतंत्र को बचाकर रखना चाहते थे। लेकिन अगर आम्रपाली को किसी एक को सौंप दिया जाता तो इससे एकता खंडित हो सकती थी। नगर वधू बनने के बाद हर कोई उसे पाने के लिए स्वतंत्र था।  इस तरह गणतंत्र के एक निर्णय ने उसे भोग्या बनाकर छोड़ दिया। एक नारी के जीवन को बर्बाद कर दिया गया। उसे एक भोग की वस्तु मात्र समझा गया। कोई नहीं था जो उसको नगर वधू बनने से रोक पाता। वो लोगो का दिल बहलाती रही और नगरवधू बनकर ही जीवन यापन करने लगी लेकिन आम्रपाली की कहानी यही समाप्त नहीं होती है। आम्रपाली नगरवधू बनकर सालो तक वैशाली के लोगों का मनोरंजन करती है लेकिन जब एक दिन वो भगवान बुद्ध के संपर्क में आयी तो सबकुछ छोड़कर एक बौद्ध भिक्षुणी बन जाती है।


 बुद्ध के संघ में सबसे प्रतिष्ठित भिक्षुणियों में एक थी आम्रपाली 


हुआ कुछ यूँ कि बुद्ध अपने एक प्रवास में वैशाली आये। कहते हैं कि उनके साथ सैकड़ों शिष्य भी हमेशा साथ रहते थे।  सभी शिष्य प्रतिदिन वैशाली की गलियों में भिक्षा मांगने जाते थे।वैशाली में ही आम्रपाली का महल भी था। वह वैशाली की सबसे सुन्दर स्त्री और नगरवधू थी। वह वैशाली के राजा, राजकुमारों, और सबसे धनी और शक्तिशाली व्यक्तियों का मनोरंजन करती थी। एक दिन उसके द्वार पर भी एक भिक्षुक भिक्षा मांगने के लिए आया। उस भिक्षुक को देखते ही वह उसके प्रेम में पड़ गयी।  वह प्रतिदिन ही राजा और राजकुमारों को देखती थी पर मात्र एक भिक्षापात्र लिए हुए उस भिक्षुक में उसे अनुपम गरिमा और सौंदर्य दिखाई दिया।वह अपने परकोटे से भागी आई और भिक्षुक से बोली – “आइये, कृपया मेरा दान गृहण करें” .उस भिक्षुक के पीछे और भी कई भिक्षुक थे। उन सभी को अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हुआ। जब युवक भिक्षु आम्रपाली की भवन में भिक्षा लेने के लिए गया तो वे ईर्ष्या और क्रोध से जल उठे।भिक्षा देने के बाद आम्रपाली ने युवक भिक्षु से कहा – “तीन दिनों के बाद वर्षाकाल प्रारंभ होनेवाला है, मैं चाहती हूँ कि आप उस अवधि में मेरे महल में ही रहें.”युवक भिक्षु ने कहा – “मुझे इसके लिए अपने स्वामी तथागत बुद्ध से अनुमति लेनी होगी। यदि वे अनुमति देंगे तो मैं यहाँ रुक जाऊँगा।”उसके बाहर निकलने पर अन्य भिक्षुओं ने उससे बात की। उसने आम्रपाली के निवेदन के बारे में बताया। यह सुनकर सभी भिक्षु बड़े क्रोधित हो गए। वे तो एक दिन के लिए ही इतने ईर्ष्यालु हो गए थे और यहाँ तो पूरे चार महीनों की योजना बन रही थी! युवक भिक्षु के बुद्ध के पास पहुँचने से पहले ही कई भिक्षु वहां पहुँच गए और उन्होंने इस वृत्तांत को बढ़ा-चढ़ाकर सुनाया – “वह स्त्री वैश्या है और एक भिक्षु वहां पूरे चार महीनों तक कैसे रह सकता है!?”बुद्ध ने कहा – “शांत रहो, उसे आने दो। अभी उसने रुकने का निश्चय नहीं किया है, वह वहां तभी रुकेगा जब मैं उसे अनुमति दूंगा।”
युवक भिक्षु आया और उसने बुद्ध के चरण छूकर सारी बात बताई – “आम्रपाली यहाँ की नगरवधू है। उसने मुझे चातुर्मास में अपने महल में रहने के लिए कहा है। सारे भिक्षु किसी-न-किसी के घर में रहेंगे। मैंने उसे कहा है कि आपकी अनुमति मिलने के बाद ही मैं वहां रह सकता हूँ।”
बुद्ध ने उसकी आँखों में देखा और कहा – “तुम वहां रह सकते हो।”
यह सुनकर कई भिक्षुओं को बहुत बड़ा आघात पहुंचा। वे सभी इसपर विश्वास नहीं कर पा रहे थे कि बुद्ध ने एक युवक शिष्य को एक वैश्या के घर में चार मास तक रहने के लिए अनुमति दे दी। तीन दिनों के बाद युवक भिक्षु आम्रपाली के महल में रहने के लिए चला गया। अन्य भिक्षु नगर में चल रही बातें बुद्ध को सुनाने लगे – “सारे नगर में एक ही चर्चा हो रही है कि एक युवक भिक्षु आम्रपाली के महल में चार महीनों तक रहेगा!”
बुद्ध ने कहा – “तुम सब अपनी चर्या का पालन करो।  मुझे अपने शिष्य पर विश्वास है। मैंने उसकी आँखों में देखा है कि उसके मन में अब कोई इच्छाएं नहीं हैं। यदि मैं उसे अनुमति न भी देता तो भी उसे बुरा नहीं लगता। मैंने उसे अनुमति दी और वह चला गया। मुझे उसके ध्यान और संयम पर विश्वास है। तुम सभी इतने व्यग्र और चिंतित क्यों हो रहे हो? यदि उसका धम्म अटल है तो आम्रपाली भी उससे प्रभावित हुए बिना नहीं रहेगी। और यदि उसका धम्म निर्बल है तो वह आम्रपाली के सामने समर्पण कर देगा। यह तो भिक्षु के लिए परीक्षण का समय है। बस चार महीनों तक प्रतीक्षा कर लो, मुझे उसपर पूर्ण विश्वास है। वह मेरे विश्वास पर खरा उतरेगा।”
उनमें से कई भिक्षुओं को बुद्ध की बात पर विश्वास नहीं हुआ। उन्होंने सोचा – “वे उसपर नाहक ही इतना भरोसा करते हैं। भिक्षु अभी युवक है और आम्रपाली बहुत सुन्दर है। वे भिक्षु संघ की प्रतिष्ठा को खतरे में डाल रहे हैं।” – लेकिन वे कुछ कर भी नहीं सकते थे। चार महीनों के बाद युवक भिक्षु विहार लौट आया और उसके पीछे-पीछे आम्रपाली भी बुद्ध के पास आई।आम्रपाली ने बुद्ध से भिक्षुणी संघ में प्रवेश देने की आज्ञा माँगी। उसने कहा – “मैंने आपके भिक्षु को अपनी ओर खींचने के हर संभव प्रयास किये पर मैं हार गयी। उसके आचरण ने मुझे यह मानने पर विवश कर दिया कि आपके चरणों में ही सत्य और मुक्ति का मार्ग है। मैं अपनी समस्त सम्पदा भिक्षु संघ के लिए दान में देती हूँ। ”आम्रपाली के महल और उपवनों को चातुर्मास में सभी भिक्षुओं के रहने के लिए उपयोग में लिया जाने लगा। आगे चलकर वह बुद्ध के संघ में सबसे प्रतिष्ठित भिक्षुणियों में से एक बनी। यह एक सच्ची कहानी है एक महिला की। कैसे उसने जीवन के सत्य को समझा और वेश्यावृति की दलदल  निकल कर एक प्रतिष्ठित भिक्षुणी बनी और महिलाओ के लिए मिसाल भी है। 



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