इम्तियाज़ अली के अंदर एक बंजारा रहता है

पिछले कई दिनों से इम्तियाज़ अली की नई फिल्म " जब हैरी मेट सेजल "के प्रोमोज टी वी पर छाए हुए हैं। फिल्म का शीर्षक थोड़ा अलग तो है ही साथ ही ये इम्तियाज़ अली की जब वी मेट की याद दिलाती है। सुना है फिल्म में शाहरुख़ एक टूरिस्ट गाइड की भूमिका में हैं। देखना ये है कि इम्तियाज़ इस फिल्म में अपनी यायावरी और बंजारेपन का कौन सा रंग दिखाते हैं। इम्तियाज़ की फिल्म से ऐसी अपेक्षा लाज़िमी है क्योंकि इसके पहले इम्तियाज़ की सारी फिल्मों में हमें एक ख़ास तरह का दर्शन देखने को मिलता रहा है। एक ख़ास तरह की सोच इनकी फिल्मों के मूल में काम करती रही है। इसमें तो कोई दो राय नहीं कि इम्तियाज़ की फिल्में लीक से हट कर होती है। ये बने बनाये फॉर्मूले पर कभी कभी काम नहीं करते। जब वी मेट से लेकर तमाशा तक हमें उनका ये अंदाज़ साफ़ तौर पर दिखाई देता है। मूलत: इनकी फ़िल्में चरित्र प्रधान होती हैं। इन चरित्रों के ज़रिये कई बार वो बहुत बड़ी बड़ी बातें कह जाते हैं। ...