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दर्द, दहशत और खूनी खेल की कहानी है ‘बुलबुल’

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एक बड़ी हवेली, उसमें रहने वाले लोगों के कई चेहरे और उनके कई राज । बुलबुल सिर्फ कहानी नहीं, बल्कि त्रासदी है । एक सवाल जो हम सबको अपने आप से पूछना होगा कि हमारे समाज में पुरूष और महिला के लिए दोहरे मापदंड क्यों अपनाए जाते है । उन दोनों के लिए नियम, कानून अलग क्यों है  ?  औरत को समाज कुलटा कुलछनी कहता है, लेकिन पुरूष को चरित्रहीन क्यों नहीं कहा जाता । क्यों ये समाज एक मासूम बुलबुल को एक चुड़ैल बना देता है ।  नेटफ्लिक्स की हाल में रिलीज हुई   मूवी  बुलबुल पुरूषप्रधान समाज का यही घिनौना चेहरा उजागर करती है कि किस तरह एक पुरूष अपनी झूठी मर्दानगी साबित करने के लिए एक औरत के साथ जानवरों से बदत्तर सलूक करता है । यह फिल्म दर्द ,  दहशत और   खूनी खेल के बीच महिला सशक्त‍िकरण का संदेश भी देती है । बुलबुल  फिल्म कास्ट:  तृप्ति डिमरी ,  अविनाश तिवारी ,  राहुल बोस ,  परमब्रत चट्टोपाध्याय ,  पाओली डैम ,  रुचि महाजन ,  वरुण पारस बुद्धदेव बुलबुल  फिल्म निर्देशक:  अन्विता दत्त बुलबुल  फिल्म प्रोडयूसर:...

गोरा रंग खूबसूरती का पैरामीटर कैसे ?????

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                                                                                                                                                                    हमारा समाज हमेशा से  गोरे रंग को लेकर  दोहरी मानसिकता का शिकार रहा है । एक तरफ तो हम बोलते है कि पश्चिमी देशों में हो रहा रंगभेद गलत है, वहीं दूसरी तरफ हम खुद इस मानसिकता से अब तक उबर ही नहीं पाए है । रंगभेद कहीं ना कहीं हमारे समाज में भी व्याप्त है, यह भेदभाव का ही एक तरीका है, जो समानता से कोसों दूर है । गोरे रंग को लेकर भारत में हमेशा से बहुत क्रेज रहा है । बॉलीवुड की कई मूवी के गानों में भी अभि...

डिप्रेशन या अवसाद जीवन का अन्त नहीं

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दुनिया को अपना हंसता हुआ चेहरा दिखाने वाला शक्स अन्दर ही अन्दर कितना टूटा हुआ होता है, यह किसी को नहीं पता होता । ऐसा ही कुछ  सुशांत सिंह राजपूत के साथ भी हुआ । हाल ही में सुशांत सिंह के सुसाइड ने सभी को स्तब्ध कर दिया है और एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर कौन सी ऐसी वजह थी, जिसके कारण उन्हें इतना बड़ा कदम उठाना पड़ा । सुसाइड करना या इसके पीछे के कारण को समझना बहुत जरूरी है, क्योंकि कोई ऐसे ही सुसाइड नहीं करता है । सुसाइड के पीछे बहुत लंबा डिप्रेशन होता है । इंसान का अकेलापन होता है, वह अकेलापन जो वो किसी के साथ बांट नहीं सकता, बता नहीं सकता । वह कैसा फील करता है, वह दिखा नहीं सकता ।  किसी के अंदर क्या चल रहा है इसे समझने के लिए आपको उस इंसान के अंदर झांक कर देखना पड़ेगा । उसे सुनना पड़ेगा और सुनने के लिए बहुत पेसेंस चाहिए होता है, यानी अगर आपको उस व्यक्ति को समझना है, तो आपको पहले उनकी सारी बातें सुननी पड़ेगी, वह आपको हजार बातें बताएंगा और उन बातों में से आपको उनके अंदर तक जो दर्द है, उसको समझना पड़ेगा । कहने में बड़ा आसान है कि किसी के दर्द को सुनकर ...

फिर शर्मसार हुई इंसानियत............#RIPHumanity, # JusticeForElephant

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“The greatness of a nation and its moral progress can be judged by the way its animals are treated.”                                                                            ― Mahatma Gandhi महात्मा गांधी ने उपरोक्त लाइन्स में कहा है कि “किसी देश की महानता और उसकी नैतिक उन्नति का अंदाजा हम वहां जानवरों के साथ होने वाले व्यवहार से लगा सकते हैं।” गांधी जी के ये अनमोल वचन हमें मानवता की महत्वता सिखाते है, लेकिन हाल ही में केरल में हुई गर्भवती हाथिनी की निर्मम हत्या ने मानवता को शर्मशार कर दिया है । यह घटना केरल के मलप्पुरम जिले की है, जहां घायल हाथिनी की मृत्यु 27 मई को वेल्लियार नदी में हुई थी । देखते ही देखते नदी में खड़ी घायल हाथिनी की मौत का वीडियो वायरल हो गया । उसके पोस्टमॉर्टम के बाद यह तथ्य सामने आया कि वो अकेली नहीं थी, उसके पेट में बच्चा पल रहा था । उसकी हत्या मनुष्यों...