फिर शर्मसार हुई इंसानियत............#RIPHumanity, # JusticeForElephant
“The greatness of a
nation and its moral progress can be judged by the way its animals are
treated.”
― Mahatma Gandhi
महात्मा गांधी ने उपरोक्त लाइन्स में कहा है कि “किसी देश की महानता और उसकी नैतिक उन्नति का अंदाजा हम वहां जानवरों के साथ होने वाले व्यवहार से लगा सकते हैं।” गांधी जी के ये अनमोल वचन हमें मानवता की महत्वता सिखाते है, लेकिन हाल ही में केरल में हुई गर्भवती हाथिनी की निर्मम हत्या ने मानवता को शर्मशार कर दिया है ।
यह घटना केरल के मलप्पुरम जिले की है, जहां घायल हाथिनी की मृत्यु 27 मई को वेल्लियार नदी में हुई थी । देखते ही देखते नदी में खड़ी घायल हाथिनी की मौत का वीडियो वायरल हो गया । उसके पोस्टमॉर्टम के बाद यह तथ्य सामने आया कि वो अकेली नहीं थी, उसके पेट में बच्चा पल रहा था । उसकी हत्या मनुष्यों द्वारा जानबूझकर की गई थी । कुछ स्थानीय लोगों ने इस गर्भवती भूखी हथिनी को अनानास के बीच पटाखे डालकर खिला दिए । ये पटाखे हथिनी के मुंह में फट गए, जिससे हथिनी के साथ-साथ उसके पेट में पल रहा बच्चा भी मर गया । इस पूरी अमानवीय घटना को वन विभाग के एक कर्मचारी ने अपने कैमरे में कैद किया, जो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ ।
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SandArt on save #Elephant. |
यह घटना इंसानियत को शर्मसार करने वाली है । यह कोई पहली घटना नहीं है, जब इंसानों ने जानवरों के साथ इस तरह का बर्ताव किया गया हो । मैं आपके साथ एक इसी तरह की घटना साझा करना चाहती हूं, यह घटना लगभग 7 साल पहले की है, जब 25 साल के एक आदमी ने एक जिंदा पिल्ले को एक गठ्ठे में फेंक दिया और उसके ऊपर पत्थर फेंकने लगा, वो पिल्ला दर्द से कराह रहा था । पिल्ले के चिल्लाने की आवाज सुनकर आसपास के लोगों और मैंने भी उससे बोला कि तुम यह क्या कर रहे हो, यह तो पागलपन है, तो उसने बोला कि यह एक बच्ची को काट चुका है, तो मैं इसीलिए इसको मार रहा हूं । आखिर वो इंसान कौन होता है, किसी को मारने वाला । यह असंवेदनशील घटना यह दर्शाती है कि इंसान किस तरह क्रूर होता जा रहा है, उसे दूसरों को तकलीफ देने में मजा आने लगा है । किसी बेजुबान को रोता या तकलीफ में देखकर कोई आनंदित कैसे हो सकता है और इस तरह की मानसिकता पनपती कहां से है ? हमारे देश में हर किसी को जीने का अधिकार है, तो क्या यह जीने का अधिकार सिर्फ जानवरों के पास नहीं है, क्योंकि वह हमारी तरह बोल नहीं सकते । वह अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं कर सकते जैसे इंसान करते हैं । जो खुद को इंसान बोलते हैं, क्या उनके अंदर इंसानियत बाकी है । उस गर्भवती भूखी हथिनी के साथ जो हुआ, क्या वह उसकी गलती थी, क्योंकि उसने इंसानों पर भरोसा किया । इस हथिनी को लोगों ने धोखा देकर अनानास के बीच पटाखे डालकर खिला दिया । उसके बावजूद भी उसने किसी को चोट नहीं पहुंचाई । अब आप ही बताइए कि इंसान कौन है और इंसानियत किस के अंदर है ? हथिनी दर्द में तड़पती रही 3 दिन तक वो पानी में खड़ी रही, उसकी हालत देखकर किसी का भी दिल पिघल सकता है । यह सब देखकर भी उनका दिल बिल्कुल नहीं पिघला, जिन्होंने यह हरकत की । इस धोखे की कीमत हथिनी को अपनी और अपने पेट में पल रहे बच्चे की जान देकर चुकानी पड़ी । यह किस तरह की मानसिकता है, जिसने हमें इतना कठोर बना दिया है । हम किस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, जहां पर हम लोगों की तकलीफ देखकर खुश होने लगे हैं । किसी भी समाज या देश की तरक्की उस देश के लोगों की सोच पर निर्भर करती है । वह सोच जो उस देश को महान बनाती है । आखिर जिस देश में लोग जानवरों को तकलीफ दे रहे हैं और दूसरों की तकलीफ में खुश हो रहे हैं वह देश महान कैसे बन सकता । इस तरह की मानसिकता के लोग सभ्य समाज के लिए खतरा है और सरकार को उन्हे कड़ी से कड़ी सजा देनी चाहिए । जानवर के अंदर भी हमारी तरह जान होती है, उनका भी हमारी तरह ही परिवार होता है । वह हमारे लिए सब कुछ करते हैं, अगर आप सोचते हैं कि जानवरों ने आपके लिए क्या किया है ? तो एक बार यह सोच कर देखिए कि जानवर खत्म हो जाएंगे, तो इंसान का क्या अस्तित्व होगा ।
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