गोरा रंग खूबसूरती का पैरामीटर कैसे ?????
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हमारा समाज हमेशा से गोरे रंग को लेकर दोहरी मानसिकता का शिकार रहा है । एक तरफ तो हम बोलते है कि पश्चिमी देशों में हो रहा रंगभेद गलत है, वहीं दूसरी तरफ हम खुद इस मानसिकता से अब तक उबर ही नहीं पाए है । रंगभेद कहीं ना कहीं हमारे समाज में भी व्याप्त है, यह भेदभाव का ही एक तरीका है, जो समानता से कोसों दूर है ।
गोरे रंग को लेकर भारत में हमेशा से बहुत क्रेज
रहा है । बॉलीवुड की कई मूवी के गानों में भी अभिनेत्रियों के गोरे रंग का जिक्र
किया गया है । साफ तौर पर कहा जा सकता है कि गोरा रंग भारतीयों के लिए बहुत मायने
रखता है, खासकर जब शादी के लिए रिश्ता देखा जा रहा हो । शादी के विज्ञापन में भी
पहली वरीयता गोरे रंग को दी जाती है । विज्ञापन में साफ लिखा होता है कि गोरी, पतली, लंबी लड़की चाहिए । अगर लड़की गोरी नहीं है, तो उसके रंग का जिक्र ही
नहीं किया जाता, उसे
छिपाने का प्रयास किया जाता है । हमारे समाज की मानसिकता है कि काले रंग की वजह से
आपकी शादी में अड़चन होगी, क्योंकि
हमें बचपन से बताया गया कि हमारे जीवन का उद्देश्य सिर्फ शादी करना ही है । सवाल
यही उठता है कि किसी की खूबसूरती का पैरामीटर गोरा रंग कैसे हो सकता है ।
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हमारा
समाज हमेशा से इस दोहरी मानसिकता का शिकार रहा है । एक तरफ तो हम बोलते है कि
पश्चिमी देशों में हो रहा रंगभेद गलत है, वहीं दूसरी तरफ हम खुद इस मानसिकता से अब
तक उबर ही नहीं पाए है । रंगभेद कहीं ना कहीं हमारे समाज में भी व्याप्त है, यह
भेदभाव का ही एक तरीका है, जो समानता से कोसों दूर है । बच्चा पैदा भी
नहीं होता उसके पहले ही लोग टोटके बताने लगते है कि क्या खाने से गोरा बच्चा पैदा
होगा । सच में हम किस स्तर तक गिर चुके है कि जो नवजात के साथ रंगभेद करने से भी
नहीं हिचकते । लड़की है चिरौंजी का उबटन लगाओं रंग साफ होगा । बचपन से ही बच्चों
के दिमाग में इतना कचरा ठूंसा
जा चुका होता है कि इतने गंभीर मुद्दे को ‘नॉर्मल’ बोलकर नजरअंदाज कर दिया जाता है ।
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इसी कड़ी में Shaadi.com नाम की मैट्रिमोनियल
वेबसाइट को अपने कलर फिल्टर की वजह से रंगभेद का इल्जाम झेलना पड़ा, जिसके बाद उन्हे
कलर फिल्टर के ऑप्शन को हटाना पड़ा । दरअसल सभी मेट्रोमोनियल वेबसाइट लड़के-लड़की
की प्रोफाइल को मैच करती हैं और वो उनसे एक खास तरह का फॉर्म फिल कराती हैं,
जिसमें कि एक ऑप्शन होता है कलर टोन का । इसी ऑप्शन को लेकर एक यूजर ने खराब
प्रतिक्रिया दी और बैकलैश का सामना करने के बाद मैट्रिमोनियल वेबसाइट ने अपने
स्किन कलर फिल्टर को हटा दिया है। बता दे कि यूएस की रहने वाली हेतल लखानी ने
फिल्टर के विकल्प के खिलाफ इस मुहिम को सोशल मीडिया पर शुरू किया । उन्होने इस ऑनलाइन
याचिका में इस तरह के फिल्टर को दक्षिण समुदायों के लिए अहितकर और रंगभेद को
बढ़ावा देने वाला बताया गया । कॉम्प्लेक्शन फिल्टर का दंश उनको झेलना पड़ता है, जो
लड़कियां गोरी नहीं होती है ।
नस्लवाद और
रंगवाद को बढ़ाने में कई बॉलीवुड हस्तियों का भी हाथ है, क्योंकि वहीं गोरे रंग को
बढ़ावा देते है । इसी श्रेणी में भारत में फेयरनस उत्पादों की कंपनी जॉनसन एंड
जॉनसन को भी रंगभेद करने का इल्जाम लगा है, जिसके बाद फेयर एंड लवली को फेयर
शब्द हटाना पड़ा और स्वीकारना पड़ा कि हर रंग सुन्दर
है । आखिर में सिर्फ एक सवाल कि जनाब जब बनाने वाले ने भेदभाव नहीं किया, तो हम और
आप कौन होते है किसी के साथ भेदभाव करने वाले ।
: रीतिका शुक्ला
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