Posts

Showing posts from 2021

विषाक्त मर्दानगी (Toxic Masculinity) के पुरुषों पर साइड इफेक्ट

Image
    Photo for representational purposes only रीतिका शुक्ला   विषाक्त मर्दानगी  (toxic masculinity) हमारे समाज की बहुत पुरानी धारणा है। यह अवधारणा ऐतिहासिक रूप से लिंग रूढ़ियों से जुड़ी हुई है। इसी के अनुरूप ही पुरुषों की मर्दानगी वाली छवि भी बनी हुई है । हालांकि कई ब्रांडस ने इस सोच को अब पुरुषों की इस छवि को बदलने का प्रयास कर रहे है।  ऐसे में विषाक्त मर्दानगी पर चर्चा होना बेहद जरूरी है, क्योंकि यह सोच हमारे समाज और स्वयं पुरुषों को नुकसान पहुंचाती हैं । यह सोच कहीं न कहीं सामाजिक रूप से पुरुषों से जुड़ी पारंपरिक रूढ़ियों जैसे जेंडर रोल और होमोफोबिया से जुड़ी हुई है और यह हिंसा को बढ़ावा देने के कारण "विषाक्त" मानी जाती है । पितृसत्तात्मक समाज में लड़कों का समाजीकरण अक्सर हिंसा को सामान्य कर देता है । उनके हिंसात्मक रवैये और आक्रामकता को भी उनकी मर्दानगी से जोड़ा जाता है । हमारी सोसाइटी में “Men will be Men” समझा जाता है । हमारे समाज में मर्दानगी को लेकर बहुत बड़ा टेबू है कि मर्द को दर्द नहीं होता। उनको बचपन से ही सिखाया जाता है कि वो आदमी है और वो लड़किय...

आइए आपको बताते है कि आखिर "मोदी जी थकते क्यों नहीं है?"

Image
  रीतिका शुक्ला अमेरिका से वापस लैंड होते ही हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सेन्ट्रल विजिटा प्रोजेक्ट पर पहुंच गए। उनके इस एक्शन की हमारे देश की  मीडिया ने जमकर तारीफ की। देश का चौथा स्तम्भ कही जाने वाली मीडिया ने मोदी की वाहवाही में ट्वीट किए।  मोदी के महिमामंडन करते हुए एबीपी की एंकर रुबिका लियाकत ने तो यहां तक लिख डाला कि , “ मोदी जी आप थकते क्यों नहीं है। थकान शब्द तो मोदी जी की डिक्शनरी में है ही नहीं ” ।                   https://twitter.com/RubikaLiyaquat/status/1442169571226513416?s=20  रुबिका लियाकत ने जो मोदी की तारीफ में कसीदे पढ़े , ठीक वैसा ही ट्वीट बीजेपी कार्यकर्ताओं ने भी किया। ये सभी ट्वीट कापी-पेस्ट किए गए है। लोगों ने कहा, "ऐसी तारीफ सिर्फ राजशाही में होती थी , जब महाराजा की तारीफ उसके मंत्रीमंडल में बैठे चाटुकार मंत्री किया करते थे, अब इसका जिम्मा हमारे देश की मीडिया ने उठा लिया है"। इस तरह की तारीफ को देखकर एक सवाल तो ज़ेहन में जरूर उठता है कि क्या बड़े-बड़े पत्रकार वही मैसेज तो नहीं करते हैं , जो...
Image
                          सुनिए मिस्टर बिखरे हुए......                                                                                                                                                            पूजा श्रीवास्तव    बीते कुछ समय से अपने देश में राष्ट्रवाद की आड़ लेकर गलत को सही और पाप को पुण्य साबित करने का नया ट्रेंड शुरू हुआ है । इस आड़ का इस्तेमाल सिर्फ राजनीति  ही नहीं मीडिया और बॉलीवुड के लोगों ने भी खूब किया।  इसी की आड़ में  इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल  मीडिया के एक बड़े हिस्से ने बड़े बड़े काण्ड किए। ऐसी...

सिंगल महिलाओं का सोशल स्टेटस : रीतिका शुक्ला

Image
हम ऐसे समाज का हिस्सा हैं, जो पितृसत्तात्मक सोच की विचारधारा से प्रभावित है । आसान शब्दों में कहे तो, पुरुष को हमेशा से महिलाओं से श्रेष्ठ समझा जाता है और महिलाओं के जीवन पर पुरुषों का नियंत्रण होता है । हमने उन्हे हमेशा से सिर्फ एक आदर्श के रूप में देखना चाहा । यही वजह है कि सिंगल महिला को लेकर हमारा समाज अभी भी सहज नहीं हो पाया है । वैसे तो भारत में सिंगल लेडी या अकेले रहने वाली महिलाओं की अवधारणा अपेक्षाकृत नई है, और समाज अभी भी इसे समझ नही पाया है । अभी भी समझा जाता है कि महिला को किसी न किसी पुरुष के साथ की आवश्यकता होती है, फिर चाहे वो पिता, पति हो या बेटा के रूप में हो ।  एक महिला के अकेले रहने से उससे ज्यादा परेशानी दूसरे लोगों को होती है । अगर आप भी एक सिंगल लेडी है, तो आपने भी इन सवालों का सामना जरूर किया होगा कि बेटा अब शादी की उम्र हो गई है, शादी कब करोगी या हम जब तुम्हारी ऐज के थे, तब तक तो हमारे दो बच्चे भी हो चुके थे । ऐसे कई डॉयलाग आपने भी जरूर सुने होगे । वैसे तो शादी करना या नहीं करना एक महिला का निजी फैसला है । एक महिला अपनी जिंदगी के सभी फैसले लेने के लिए स्वतंत...

रिप्ड जींस या रिप्ड सोच : रीतिका शुक्ला

Image
  ये देश अब इस स्थिति में पहुंच गया है जहां लोगों के संस्कार उनके विचार , व्यवहार या जीवनशैली में नहीं बल्कि उनके कपड़ों में ढूंढा जाने लगा है। खासकर महिलाओं के पहनावे को लेकर लोग जरूरत से ज्यादा जजमेंटल हो रहे हैं। उनके हिसाब से ऐसी महिलाएं देश की संस्कृति के लिए खतरा हैं जो जींस पहनती हैं खास कर रिप्ड जींस । वैसे जब हमारे देश में संस्कारी जींस आ सकती है , तो कुछ भी होना मुमकिन है ।      मजेदार बात यह है कि दुनिया अभी जीन के मुद्दे से उबर भी नहीं पाई थी कि अब भारत में  जींस  को लेकर बवाल मचा गया । हमने जींस को अब तक एक परिधान के रूप में देखा , लेकिन अब इसे उनके संस्कारों से जोड़ा जा रहा है । हालांकि जींस का कोई जेडर नहीं है , इसे कोई भी पहन सकता है , तो फिर एक महिला के जींस पहनने में क्या खराबी है ।   किसी के संस्कार उसके कपड़ो में कैसे हो सकते है , यह समझना थोड़ा मुश्किल है । रिप्पड जींस तो चलो फिर भी चल जाएगी , लेकिन लोगों की रिप्पड सोच का क्या किया जाए । देश में कोई भी नेता महंगाई बढ़ने पर कुछ नहीं बोल रहा , न ही किसी का ध्यान बढ़ती बेरोजगारी प...

क्या हो श्रेष्ठता का मापदंड ?

Image
  “ मैं जिंदा नहीं रहना चाहती थी ” , यह बात कुछ दिन पहले दुनिया के सबसे शक्तिशाली ब्रिटिश शाही परिवार की बहू मेगन मार्कल ने अपने साथ हुए भेदभाव के बाद कही । अब सोचिए कि इतने शक्तिशाली परिवार की बहू का ये हाल है, तो एक मिडल क्लास परिवार की बहू का क्या हाल होगा । पहली नजर में ये आपको छोटा सा मसला लग सकता है, लेकिन इसकी जड़े हमारी सोच से भी ज्यादा गहरी है । कहीं न कहीं यह मामला नस्लभेद से जुड़ा हुआ है, जो किसी भी देश या समाज के लिए अच्छा नहीं है । यह किसी इंसान को कमतर दिखाता है, जैसे उसका कोई वजूद ही न हो । हम किसी को देख कर यह अनुमान भी नहीं लगा सकते कि उस पर क्या गुजर रही होगी । कहने को तो हर कोई कहता है कि हम नस्लभेद के खिलाफ है, लेकिन सच क्या है हम सब जानते है । नस्लभेद को अगर हम परिभाषित करे, तो यह ऐसी धारणा है कि हर नस्ल के लोगों में कुछ खास खूबियां होती हैं , जो उसे दूसरी नस्लों से कमतर या बेहतर बनाती हैं।" नस्लवाद लोगों के बीच जैविक अंतर की सामाजिक धारणाओं में आधारित भेदभाव और पूर्वाग्रह दोनों होते हैं। ब्रिटेन के पूर्व प्रिंस हैरी और उनकी पत्नी मेगन मार्कल नस्लभेद पर आज ...

उत्सव नहीं सहजता है जरूरी : पूजा श्रीवास्तव

Image
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर फिल्म सौदागर को याद करना बहुत जरूरी है । हमारे समाज की आज भी यह विडंबना है कि एक स्त्री को अपना सोशल स्टेटस पाने के लिए किसी ना किसी रिश्ते से जोड़ना जरूरी होता है । कभी किसी की बेटी बनकर कभी किसी की पत्नी बनकर कभी किसी की मां बन कर । एक अकेली , अविवाहित या तलाकशुदा स्त्री को समाज अभी भी वो सोशल स्टेटस नहीं देता, जो एक स्त्री को विवाह करते ही प्राप्त हो जाता है। आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर एक फिल्म सौदागर को याद करना बहुत जरूरी है। इस फिल्म में अमिताभ बच्चन, नूतन और पदमा खन्ना ने प्रमुख भूमिका निभाई है| फिल्म में अमिताभ बच्चन ताड़ के पेड़ से रस निकालकर उसका गुड़ बनवाते हैं और उसको बेचते हैं। गुड़ बनाती है नूतन, जिनका बनाया हुआ गुड़ पूरे इलाके में मशहूर है| अमिताभ बच्चन पद्मा खन्ना को पसंद करते हैं उनसे शादी करना चाहते हैं लेकिन उसके लिए उन्हें बहुत सारे पैसों की जरूरत है इन पैसों की जरूरत को पूरा करने के लिए वो नूतन से शादी कर लेते हैं जो कि एक विधवा हैं। उनके बनाए गुड़ को बेचकर धीरे धीरे अमिताभ बच्चन के पास इतने पैसे इकट्ठे हो जाते हैं कि वह पद्म...