
बाल विवाह : एक अभिशाप या पाप ???? रीतिका शुक्ला अभी ब्याहने की क्या जल्दी, थोड़ा लिख-पढ़ जाने दो। प्रेम और ममता की मूरति, पूरी तो गढ़ जाने दो।। हम सबको अपना बचपन बहुत प्यारा है..आज भी अपना बचपन याद करते ही सब यादे ताजा हो जाती है कि कैसे हम मजे किया करते थे ,और शैतानियाँ करने पर कैसे घर पे माँ से डॉट खाते थे। सब कुछ कितना सुहाना सा था लेकिन सबका बचपन ऐसा नहीं होता। गुड्डा -गुड़िया की शादी कराने की उम्र में इन बच्चो की शादी करा दी जाती है। वो बच्चे जिनको शादी का मतलब भी नहीं पता होता है उनको इस बंधन में बाँध दिया जाता है। अगर आकड़ो पर गौर करे तो तकरीबन हर साल 14 लाख से ज्यादा लड़कियों की शादी किशोरावस्था में कर दी जाती है। उनसे उनका बचपन तो छीना ही जाता हैं, साथ ही उनसे स्वास्थ्य और शिक्षा के अधिकार को भी छिन लिया जाता हैं। अगर इस दिशा में कोई कठोर कदम न उठाए गए तो ऐसी लड़कियो की संख्या यो ही बढ़ती ही जाएगी।आज हर क्षेत्र में जहां लड़कियां अपनी सफलता के झंडे गाड़ रही हैं, वहीं आकड़ो के मुताबिक तो हर सात में से ...