बसंत पंचमी की अनसुनी ऐतिहासिक गाथाएँ
बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती की पूजा की जाती है,जिन्हें ज्ञान और संगीत की
देवी भीकहते है ।कहा जाता है कि भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्मा ने मनुष्य योनि
की रचना की लेकिन अपनी रचना से वे संतुष्ट नहीं थे। उन्हें लगता था कि कुछ कमी
रह गई है | विष्णुसे अनुमति लेकर ब्रह्मा ने अपने कमण्डल से जल छिड़का और
पृथ्वी पर जलकण बिखरतेही उसमें कंपन होने लगा। इससे एक अलौकिक शक्ति
उत्पन्न हुई । यह उत्पत्ति एक चतुर्भुजी स्त्री की थी जिसके एक हाथ में वीणा तथा
दूसरा हाथ वर मुद्रा में थी ।अन्य दोनों हाथों में पुस्तक एवं माला थी। ब्रह्मा ने देवी
से वीणा बजाने का अनुरोध किया। जैसे ही देवी ने वीणा का मधुरनाद किया, संसार
के समस्त जीव-जन्तुओं को वाणी प्राप्त हो गई। संगीत की उत्पत्ति करने के कारण
ये संगीत की देवी भी हैं। बसन्त पंचमी के दिन को इनके जन्मोत्सव के रूप में
भी मनाते हैं । शास्त्रों में बसंत पंचमी को ऋषि पंचमी से उल्लेखित किया गया है |
वसंत पंचमी का दिन हमें पृथ्वीराज चौहान की भी याद दिलाता है। उन्होंने
विदेशी हमलावर मोहम्मद गौरी को 16 बार पराजित किया और उदारता दिखाते
हुए हर बार जीवित छोड़ दिया, पर जब सत्रहवीं बार वे पराजित हुए, तो मोहम्मद
गौरी ने उन्हें नहीं छोड़ा। वह उन्हें अपने साथ अफगानिस्तान ले गया और उनकी
आंखें फोड़ दीं। इसके बाद की घटना तो जगप्रसिद्ध ही है। गौरी ने मृत्युदंड देने
से पूर्व उनके शब्दभेदी बाण का
बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती की पूजा की जाती है,जिन्हें ज्ञान और संगीत की
की रचना की लेकिन अपनी रचना से वे संतुष्ट नहीं थे। उन्हें लगता था कि कुछ कमी
रह गई है | विष्णुसे अनुमति लेकर ब्रह्मा ने अपने कमण्डल से जल छिड़का और
पृथ्वी पर जलकण बिखरतेही उसमें कंपन होने लगा। इससे एक अलौकिक शक्ति
उत्पन्न हुई । यह उत्पत्ति एक चतुर्भुजी स्त्री की थी जिसके एक हाथ में वीणा तथा
दूसरा हाथ वर मुद्रा में थी ।अन्य दोनों हाथों में पुस्तक एवं माला थी। ब्रह्मा ने देवी
से वीणा बजाने का अनुरोध किया। जैसे ही देवी ने वीणा का मधुरनाद किया, संसार
के समस्त जीव-जन्तुओं को वाणी प्राप्त हो गई। संगीत की उत्पत्ति करने के कारण
ये संगीत की देवी भी हैं। बसन्त पंचमी के दिन को इनके जन्मोत्सव के रूप में
हुए हर बार जीवित छोड़ दिया, पर जब सत्रहवीं बार वे पराजित हुए, तो मोहम्मद
गौरी ने उन्हें नहीं छोड़ा। वह उन्हें अपने साथ अफगानिस्तान ले गया और उनकी
आंखें फोड़ दीं। इसके बाद की घटना तो जगप्रसिद्ध ही है। गौरी ने मृत्युदंड देने
से पूर्व उनके शब्दभेदी बाण का
कमाल देखना चाहा। पृथ्वीराज के साथी
कवि चंदबरदाई के परामर्श पर गौरी ने ऊंचे
स्थान पर बैठकर तवे पर चोट मारकर
पृथ्वीराज चौहान ने इस बार भूल नहीं की।
उन्होंने तवे पर हुई चोट और चंदबरदाई के
संकेत से अनुमान लगाकर जो बाण मारा,
वह गौरी के सीने में जा धंसा। इसके बाद
चंदबरदाई और पृथ्वीराज ने भी एक दूसरे
के पेट में छुरा भौंककर
आत्मबलिदान दे दिया। 1192 ई की यह
घटना भी वसंत पंचमी वाले दिन ही हुई थी।
आज भी पृथ्वीराज की वीरता की गाथा सुनाई
जाती है।
जाती है।
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