अच्छी औरत,बुरी औरत




  पिछली  कई सदियों से स्त्रियों ने स्वयं को देह के दायरे तक सीमित अपनी पहचान के खिलाफ लड़ाई लड़ी है. आज की स्त्री अपनी पहचान अपनी प्रतिभा के दम पर बनाना चाहती हैं. और ऐसा करने में समाज भी उसका साथ दे रहा है लेकिन आज भी कुछ ऐसी प्रवृतियां हैं जो आज भी औरत को देह के दायरे से मुक्त नहीं देखना चाहती।  ये प्रवृतियां आज भी ये साबित करने में जुटी हैं की औरत का सौन्दर्य और उसकी शारीरिक सुघड़ता में ही उसका और उसके प्रियजनों का सुख निहित है। यह कुछ लक्षण हैं जो ये बताते हैं कि शारीरिक बनावट कैसे किसी महिला के स्वाभाव और उसके चरित्र का निर्धारण करती है। और ये किसी पुरातनपंथी पुस्तिका में नहीं बल्कि तथाकथित आध्यातिमक ज्ञान का प्रचार करने वाली एक वेबसाइट पर उपलब्ध है। ज़रा आप भी गौर फरमाएं 
  कहने वाली  ऐसी महिलाओं की पहचान सामान्य तौर पर करना तब तक संभव नहीं है जब तक कि उन्हें जान ना लिया जाए। लेकिन भारत के प्रसिद्ध ग्रंथ बृहद संहिता के अनुसार ऐसे कई तरीके हैं जिनसे स्त्री के चेहरे-मोहरे को देखकर ही उसके स्वभाव का पता लगाया जा सकता है।
स्त्री के चेहरे और उसके शरीर पर कुछ ऐसे लक्षण होते हैं जो उसे लक्ष्मी का स्वरूप नहीं बल्कि कुलक्ष्मी करार देते हैं।
ऐसी स्त्रियां जिनके कानों में बहुत बाल होते हैं, उनका आकार असमान होता है, तो ऐसी स्त्रियां घर में क्लेश की वजह बनती हैं।
 मोटे, लंबे और चौड़े दांत, जो बाहर निकलते प्रतीत होते हैं तो ऐसी स्त्री के जीवन में हमेशा दुखों के बादल छाए रहते हैं।
 मसूड़ों का काला होना भी स्त्री के दुर्भाग्य की निशानी है।
जिन महिलाओं के होठों के ऊपर वाले भाग में अधिक बाल होते हैं, जिनका कद बहुत लंबा होता है तो ऐसी स्त्रियां अपने पति के लिए अशुभ साबित होती हैं।
ऐसी महिलाएं जिनका ललाट यानि माथा लंबा होता है तो वह अपने देवर के लिए अशुभ होती हैं,
 जिन महिलाओं का पेट लंबा होता है तो वे अपने ससुर और जिनका कमर के नीचे का हिस्सा भारी होता है वह अपने पति के लिए अशुभ होती हैं।
स्त्री का पेट अगर घड़े की तरह होता है तो वह महिला ताउम्र गरीबी और दरिद्रता के हालातों से गुजरती है।
 पेट का अधिक लंबा, गड्ढेदार होना भी अशुभ की ही निशानी है।
इसके उलट अगर पांव का यह भाग मांसहीन, सूखा हो तो ऐसी महिला अपने जीवन में विभिन्न प्रकार के कष्टों का सामना करती है।
कुछ महिलाएं बेहद क्रोधी स्वाभाव की होती हैं। इन पर नियंत्रण करना कठिन होता है और इनके चरित्र पर भी विश्वास नहीं किया जा सकता। 
बृहद संहिता के अनुसार ऐसी स्त्री जिसके पैर की कनिष्ठिका अंगुली या उसके साथ वाली अंगुली, धरती को स्पर्श ना करती हो, अंगूठे के साथ वाली अंगुली अंगूठे से बहुत ज्यादा लंबी हो तो ऐसी स्त्रियां हालात और स्थिति के अनुसार अपना चरित्र बदल लेती हैं।

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