कोटपाड़ का पारम्परिक आल डाइंग : ओडिशा हैंडलूम


रीतिका शुक्ला


        हाल ही मे मेरी मुलाकात श्रीमती जेमा पनिका और श्री गोबर्धन पनिका से हुई जिन्हे अपनी इस कला के लिए नेशनल अवॉर्ड भी मिला है। पहले मै भी इस हैंडलूम से अनभिज्ञ थी, लेकिन इस हैंडलूम को मुझे नजदीक से जानने को मिला और आज मै आपको भी कोटपाड़ की आल डाइंग से रूबरू कराऊंगी। यह डाइंग यहाँ पीढ़ी दर पीढ़ी की जाती है और यह पूरी तरह से प्राकृतिक विधि से की जाती है।

श्रीमती जेमा पनिका (नेशनल अवॉर्ड विनर )
        शताब्दियों से  उड़ीसा के कोरापुट जिले के कोटपाड़ गांव के मिरगान समुदाय के आदिवासी बुनकरों द्वारा यह बुनाई की जाती है। इसकी विशेषता यह है कि इसमें वेजिटेबल डाई का प्रयोग किया जाता है। इसमें प्रयोग आने वाला प्राकृतिक रंग इस क्षेत्र में उगाए गए औल पेड़ से निर्मित होता  है।            
कोटपाड हैंडलूम फैब्रिक ओडिशा से वह पहली वस्तु है, जिसमे 2005 में भारत का भौगोलिक संकेत मिलते है । गौरतलब है कि कोटपाड के मिरगन समुदाय अपने उत्तम कार्बनिक रंगे कपड़ा के लिए प्रसिद्ध है। वे आमतौर पर "भोडा", "धरुआ" और उनके पड़ोसी आदिवासी समुदायों के मोटिफ्स की इस कपडे पर बुनाई करते हैं।
इस हैंडलूम में कपास यार्न, तुसार रेशम और ऑल वृक्ष की जडो का इस्तेमाल मुख्य सामग्री के रूप में किया जाता हैं। कार्बनिक डाई का उपयोग करना भी इन वस्त्र उत्पादों का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है। रंगों और रंगाई धागे को विभिन्न रंगों में प्रसंस्करण के लिए लगभग 15 से 30 दिनों का समय लगता है।और इस पूरी प्रक्रिया में निकाले गए मुख्य रंग काला और लाल रंग हैं। कोटपाड़ हैंडलूम में साड़ी और शॉल सबसे महत्वपूर्ण और अन्य आकर्षक वस्त्र उत्पाद हैं। यह वस्त्र गर्मी और सर्दियों के दौरान पहनने के लिए बहुत आरामदायक हैं।

कोटपाड़ के स्टॉल को मैंने भी किया फ्लॉन्ट
प्राकृतिक डाई रंग को भारतीय वृक्ष औल वृक्ष या मदार( मोरिंडा सिट्रिफ़ोलिया ) पेड़ की जड़ से निकाले गए रंग से प्राप्त किया जाता है। चूंकि इसे प्राकृतिक संसाधनों से बाहर तैयार किया जाता है जो गैर विषैले होते हैं, इसलिए डाई त्वचा के लिए हानिकारक नहीं होता है। हालांकि यह केवल एक सीमित रंग सीमा में है, यह पर्यावरण के अनुकूल है और इससे विकसित रंग  बहुत सुन्दर और मनमोहक भी होते हैं। गहरे मेहरून रंग से  लेकर गहरे भूरे तक के रंग जड़ की छाल की उम्र और रंगों के उपयोग पर निर्भर करते हैं और डाई का यह अनुपात हारीकारी या लोहा सल्फेट से प्राप्त किया जाता है । सूती यार्न के प्राकृतिक निर्बाध ऑफ-सफ़ेद रंग के साथ मिश्रित ये रंग नाटकीय परिणाम का उत्पादन करते हैं। फैब्रिक पर प्रयुक्त रूपांकनों में शंख , नाव, कुल्हाड़ियों, केकड़े, धनुष, मंदिर , मछली और प्रशंसक  हैं , जो क्षेत्र की संस्कृति को दर्शाती हैं। इन प्रारूपों को अतिरिक्त wefts द्वारा विकसित किया जाता है। इस हैंडलूम में इंटरलॉकिंग विधि द्वारा बहु-शटल का उपयोग करके, कपड़े का एक ठोस बॉर्डर का प्रभाव धागा के सुअर प्रविष्टि द्वारा सुअर द्वारा लाया जाता है।और इस प्रकार से कड़ी मेहनत के बाद हमको ये सुन्दर प्राकृतिक डाई के उत्पाद प्राप्त होते है।
  आप भी ठोस बॉर्डर और पटा अनचाल के साथ कॉटन साड़ी , ठेठ बुटीज़ / प्रस्तुति के साथ डुप्टाटा, कपास, रेशम , हथकरघा स्टोल को अपने वार्डरोब में शामिल करे। यकीन मानिये लोग भी आपको कॉम्पलिमेंट देंगे क्योकि  इस हैंडलूम की बात ही अलग है। 

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