कौन होगा अगला शिकार??- रीता शर्मा


रीता शर्मा ने हमारे आग्रह पर यह आलेख हमें भेजा है। रीता कई वर्षों से समाज सेवा के कार्य में लगी हुई हैं। इनका अपना एक एन  जी ओ है जिसका नाम है शक्तिस्वरूपा। इस एन  जी ओ के ज़रिये वो महिलाओं के  मुद्दों को उठाने उन्हें न्याय दिलाने और उनमे जागरूकता जगाने का महत्त्वपूर्ण कार्य कर रही हैं। हाल में शीरोज हैंगआउट की कर्मी के साथ हुई घटना को भी रीता सभी मंचों पर ज़ोर शोर से उठा रही हैं। प्रस्तुत हैं उनका ये आलेख -कौन होगा अगला शिकार??




जानकारी के मुताबिक रोक के बावजूद चोरी छिपे बिक रही एसिड और हालिया जबरन गुंडों द्वारा एक पिलाई गयी एसिड, अब ये सोचने को मजबूर कर रही है कि अब अगला शिकार होगा कौन? समाज में खुले आम घूम
रहे ये दरिंदे की कब, किस पर नज़र पड़ जाए और उसका तन मन जलाकर ये विकृत लोग किसी अनहोनी घटना को अंजाम दे दे, कोई कुछ नहीं सकता।

बेख़ौफ़ घूम रहे ये भेड़िये सख्त कानून के बावजूद ऐसी घटना को अंजाम दे रहे हैं, क्योंकि इन पर कोई सख्त कार्यवाही नहीं हो रही है। हमारे सर्वे के मुताबिक कोई 9 साल से तो कोई उससे भी ज्यादा समय से न्यायालय दौड़ रहा है और अब तक इन्साफ नहीं मिला। हमारी सिस्टम में खामी के चलते ही बार नारीत्व बेतहाशा कराह रही है।
आखिर क्यों ये विकृत लोग किसी को कुरूप करने में लगे है? आखिर उन्हें कौन सा संतोष मिल जाता है किसी को जिंदगी भर तड़फा कर? इस पर मनोवैज्ञानिक दृष्टि से सोचने , समझने और व्यवस्था में बदलाव की
जरुरत है।
"जब कोई व्यक्ति अपने दम और अहंकार में चूर होता है और जब सब पर शासन करने की मानसिकता हावी हो जाती है तो वही से उस पर एक पागलपन का जुनून सवार हो जाता है तो वो व्यक्ति सही और गलत में अंतर करना भूल जाता है और फिर यही से शुरू हो जाता है दूसरों पर अत्याचार करने और उन्हें कुचलने की कहानी और शिकार होता है कमज़ोर वर्ग, नारी जाति। कभी ये बलात्कार की शक्ल में आता है, कभी एसिड अटैक, कभी बाल शोषण तो कभी हत्या और लूटपाट।"

ऐसे अपराधों के चलते लोगों का मनोबल टूट जाता है, लड़कियों पर घर से अंकुश लगाया जाता है इन बढ़ते हुए अपराधों का हवाला देकर। कड़ी कार्यवाही के ना चलते छोटी सी बात पर लोगो की जान लेना एक फैशन सा चल पड़ा है।
हम सब को एकजुट होकर सोचना होगा, गहन विचार मंथन करना होगा, समाज में गिरती हुए मानवता, नैतिकता के पतन के चलते समाज का हास हो रहा है और गहन चिंतनीय विषय है कि
कैसा होगा हमारे बच्चों का भविष्य? इसके लिए हम सबको एक बदलाव के बारे में सोचना होगा।
एक बार महिलाओं को ही आगे आकर पहल करनी होगी... संस्कार डालने होंगे उन्हें लड़को में और दूसरों की भावनाओं की इज़्ज़त करना सिखाना होगा, साथ ही लड़कियों को बिना डर बोलना सीखना होगा और उन्हें चौकन्ना रहने की ट्रेनिंग देनी होगी संभब हो सके तो सेल्फ डिफेन्स ट्रेनिंग भी। हर घर से की गयी पहल से बदल सकता है समाज और रोक सकते है उनका नैतिक पतन।
ये लेख समर्पित है एसिड अटैक के समाज से जूझ रही हर बहादुर लड़की को।"


"सूरत में क्या रखा है?,

सीरत तो कोई दरिंदा छीन नहीं सकता,
गर खूबसूरती ही सब कुछ होता,
तो हर खूबसूरत एक अच्छी दुनिया बसाता
और हमें कुरूप कर अपनी क्षुद्रता नहीं दिखता।। 
                                                          
                                                         

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