सभी रोगो का एक मंत्र- सूर्य नमस्कार

 

सुप्रिया श्रीवास्तव

    दिनभर की दौड़ भाग मे अपने लिये समय निकालना बहुत मुश्किल होता जा रहा है। जिसके कारण लोगो मे अनिद्रा, मोटापा, उच्च रक्त चाप, डायबिटीज़ जैसी कई बीमारिया घर कर रही है। आज कल बहुत से उपाय लोगो के सामने है, लेकिन वो सभी उसी समय तक लाभ पहुचाते है जब तक आप उसपर खर्च करके उसे इस्तेमाल नही करते है। या तो डॉ की लिखी दवाओ पर निर्भर होना पड़ता है। क्योंकि अंग्रेजी की कहावत है- “Health is Wealth” अर्थात् शरीर स्वस्थ है तो सब कुछ है। इसलिये इन सब बीमारियो से से निजात पाने का एक मात्र उपाय है‌‌- योग। योग मे ऐसी क्रियाए है जो रोगो को दूर करने मे समर्थ है। प्रतिदिन प्रातः योग के आसन, क्रियाए करने से शरीर के भीतर की सभी समस्याओ को जड़ से खत्म किया जा सकता है। ऐसे ही आसन क्रियाओ का संगम है- “सूर्य नमस्कार”। सूर्य नमस्कार के बारह चरण है। जिसको इस प्रकार समझा जा सकता है-

1-  प्रणाम स्थिति- दोनो हाथो को जोड़कर सीने के पास रखे व दृष्टि सामने की ओर रखे। दोनो पैर की एड़ी को मिलाकर रखना है।
 

2-  हस्तोत्थानासन- दोनो हाथो को श्वास भरते हुये ऊपर उठाए।
 

3-  पाद हस्तासन- श्वास छोड़ते हुये मस्तक को घुटने से व हाथो को जमीन से लगाने का प्रयास करे।
 

4-  अश्व संचालनासन- एक पैर को पीछे ले जाये व दोनों हाथो को एक साथ रखे तथा छाती को ऊपर उठाये।
 

5-  दंडासन- दोनो पैर को पीछे ले जाते है व दोनो हाथो को आगे रखे रहे। इसमे हमारी स्थिति डंडे के समान होती है।


6-  अष्टांग नमस्कार- श्वास छोड़ते हुये घुटने, छाती, ठुड्डी व मस्तक को जमीन पर लगाये।
 

7-  भुजंगासन- इसमें दोनो हाथो को कंधे के पास रखते हुये धड़ वाले हिस्से को ऊपर उठाते है। यह क्रिया श्वास लेते हुये करे।
 

8-  पर्वतासन- इसमें श्वास छोड़ते हुये मस्तक को जमीन से लगाएं व नाभी को देखने का प्रयास करें। इसमें हमारी स्थिति पर्वत के समान होती है।
 

9-  अश्वसंचालनासन- श्वास लेते हुये एक पैर को आगे ले आये व दोनो हाथो को एक साथ रखकर छाती को ऊपर उठाएं।
 

10-पाद् हस्तासन- श्वास छोड़ते हुए दोनो पैरों को एक साथ ले आएं व मस्तक को घुटने से व हाथों को जमीन से लगाने का प्रयास करें।
 

11-हस्तोत्थानासन- दोनो हाथो को श्वास भरते हुये ऊपर उठाए।
 


12-प्रणाम स्थिति- दोनो हाथो को जोड़कर सीने के पास रखे और दृष्टि सामने की ओर रखे।
 

इस प्रकार से सम्पूर्ण क्रिया को अपनी क्षमतानुसार 5-5 बार दुहराये। अंत मे श्वासन 5-10 मिनट अवश्य करे।

लाभ- इसको करने से अनेक लाभ होते है। योग शरीर के साथ साथ मस्तिष्क को भी शांत और स्फूर्तिवर्धक बनाता है।

1-   सूर्य नमस्कार से मोटापा सम्बंधी रोग दूर होते है।

2-   इससे मस्तिष्क तेज़ और एकाग्र होता है।

3-   यह शरीर को लचीला बनाता है

4-   सूर्य नमस्कार से अवसाद,कब्ज़, अस्थमा, कमर दर्द और अर्थराईटिस जैसे गम्भीर रोगो को भी नित दिन करने से आसानी से दूर किया जा सकता है।

सावधानियॉ‌- किसी भी क्रिया को करने मे विशेष सावधानियॉ बरतनी चाहिये।

1-   सूर्य नमस्कार की क्रिया को व्यक्ति को अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार शुरु करना चाहिये। पहले 2 से 3 चक्र करना चाहिये फिर उसे धीरे धीरे बढ़ाना चाहिये।

2-   शरीर जितना साथ दे, क्रिया को उतना ही करना चाहिये। शरीर के किसी भाग मे यदि दर्द है तो ये ना करे।

3-   योग क्रिया सुबह खाली पेट ही करना चाहिये।

4-   उच्च रक्तचाप, ह्रद्य रोगी जटिल क्रिया जल्दी जल्दी ना करे। अगर क्रिया के दौरान तकलीफ प्रतीत हो तो लेटकर धीरे धीरे श्वास ले।

5-   इसे किसी कुशल निर्देशक की निगरानी मे करना ज़्यादा उचित रहता है।

   सूर्य नमस्कार से शरीर को बाहर से तो लाभ मिलता ही है, साथ ही मन भीतर से भी आनन्दित हो जाता है। योग को दैनिक जीवन मे करने से शरीर को रोग मुक्त रखा जा सकता है। इसे करते समय मन मे ऐसी भावना रखनी चाहिए कि हमारे शरीर मे सूर्य का प्रकाश फैल रहा है। उसकी किरणे हमारे भीतर ऊर्जा का संचालन कर रही है। इस तरह की भावना करके प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करने से शरीर मे व्याप्त बीमरिया दूर हो जाती है और शरीर सभी प्रकार रोगो से लड़ने के लिये मजबूत हो जाता है।

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