सविता वर्मा ग़ज़ल की दो ग़ज़लें


सविता वर्मा "ग़ज़ल"

क्षेत्रीय ,अंतर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओ में प्रकाशित। प्रसारण- आकाशवाणी के अनेक केन्द्रों से रचनाएँ प्रसारित । लेखन विधा-कविता,कहानी,गीत,बाल साहित्य,नाटक,लघु कथा, ग़ज़ल,वार्ता, हाइकु,आदि ।। विभिन्न पुरुस्कारों से सम्मानित।साहित्य लेखन के साथ साथ फिल्मों के लिए लेखन और अभिनय में सक्रिय।







छोडो भी अब कल की बातें.... 

 छोडो भी अब कल की बातें.... 
आज करें हम अब की बातें...॥ 

कल बीता कल किसने देखा... 
देखें है सब अब की बातें ॥

कल जख्मों में टीस भरी थी 
आज खुशी दें अब की बातें ॥ 

* कल खाया जो धोखा वो था... 
आज वफा है अब की बातें ॥

कल पायल भी बेडी थी जैसे 
आज हवा में अब की बातें ॥ 

उसने ऐसे मुँह फेरा था ..
सुने ध्यान से अब की बातें ॥ 
*
रिश्तों से कंगाल था कल जो 
खूब करे है अब की बातें ॥ 
*
हमने हमको लिया समझाय.. 
ग़ज़ल सुनो अब,अब की बातें ॥







 चाँद का रूप आँखों में  था रात भर 


 चाँद का रूप आँखों में  था रात भर 
चाँदनी मैं नहाई धरा रात भर ॥                                                                                                 
*
कोई आँखों पै पटटी को बाँधे हुए!
ढूँढता ही रहा रास्ता रात भर ॥ 
*
रात भर रात रानी सँवरती रही 
मुस्कुराता रहा आईना रात भर ॥ 
*
दिलके टुकड़े को करके जुदा एक बाप
सिसकियाँ लेके रोता रहा रात भर॥ 
*
रात भर उसका रस्ता मैं तकती रही
वो ना आया मगर बे वफा रात भर॥ 
*
मैं भी उसके ख्यालोँ मे डूबी रही!
गुनगुनाता रहा वो "गजल" रात भर॥ 
                                                                 प्रस्तुति: पूजा 

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