मेहनत और लगन से बनाई पहचान :साहेब दास मानिकपुरी
साहेब जी ये बताइये ये खिलौनी नाम कहाँ से आया ?
देखिये , हम तो कलाकार लोग हैं। जो डायरेक्टर कहता है वही करते हैं। वैसे ये फनी सा नाम हमारे शो के राइटर मनोज संतोषी जी के दिमाग की उपज है।
अपने परिवार के बारे में कुछ बताइये और आप मुंबई कैसे पहुंचे ?
मैं रायपुर छत्तीसगढ़ के छोटे से गाँव भैंसा सकरी का रहने वाला हूँ। मेरे परिवार में दूर दूर तक कोई एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में नहीं था। हमारे यहाँ तो खेती किसानी होती थी। हाँ मैं अपने स्कूल कालेज में नाटक आदि में हिस्सा लिया करता था। शौक था मुझे। मुंबई मैं अपने बड़े भाई कुमार मानिकपुरी जी के कहने पर आया था। मेरे भाई साहब लेखक हैं और माणिक खंड पुस्तक लिख कर उन्होंने छत्तीसगढ़ का मान बढ़ाया है। अभी हाल ही में उन्होंने श्रीमद्भगवत गीता की दोहा चौपाई में सरल टीका की है , जिसका शीघ्र ही प्रकाशन होने वाला है। तो हुआ यूं की भाई साहब तो पहले से ही मुंबई में थे फिर उन्होंने मुझे भी अपने पास बुला लिया पढाई करने के लिए। जब यहाँ पहुंचा तो देखा की यहाँ बहुत से लोगों ने थिएटर ज्वाइन कर रखा है। इसमें कुछ मेरे पुराने दोस्त भी थे। तो मैंने भी थिएटर ज्वाइन कर लिया। यहाँ सबसे पहले मैंने इस्कॉन थिएटर ज्वाइन किया जहाँ
कुछ नाटक किये फिर पृथ्वी थिएटर ज्वाइन किया। थिएटर के दौरान मैंने बहुत कुछ सीखा। अगर आप ये कहें की मेरी एक्टिंग की पूरी ट्रेनिंग इन्ही थिएटर में हुई तो गलत नहीं होगा। यहाँ न केवल मैंने एक्टिंग सीखी बल्कि उसमे सुधार और निखार भी आया।
अच्छा तो फिर थिएटर के बाद आपका अभिनय का सफर कैसे शुरू हुआ ?
देखिये थिएटर करने के दौरान ये इस बात का तो अहसास हो गया था की मेहनत का कोई विकल्प नहीं। खासकर अभिनय के मामले में जुगाड़ या सिफारिश से आपको एक बार मौका मिल सकता है लेकिन यहाँ टिके रहने और दर्शकों के दिल में खास जगह बनाने के लिए बहुत मेहनत और समर्पण की ज़रूरत होती है। तो लगभग छह सात साल थिएटर करने के बाद लगा की अब कुछ रुख करना चाहिए। तो मैंने और मेरे कुछ दोस्तों ने प्रोडक्शन हाउसेस के चक्कर काटने शुरू किये।
तो कैसा रहा ये सफर ?
सफर तो थोड़ा मुश्किल भरा ही था। मेरे साथ कुछ दोस्त भी थे। उस वक़्त होता ये था की मेरी शकल सूरत देखकर अक्सर लोग बिलकुल साफ़ साफ़ मना कर देते थे। लेकिन हम कोशिश में लगे रहे। फिर एक दिन प्रदीप सरकार के यहाँ ऑडिशन देना का मौका मिला। उन्होंने मुझमे जाने क्या देखा और मुझे एक ऐड में रोल दे दिया।खास बात ये थी की यहाँ लगभग साढे तीन सौ लोगों में मेरा सिलेक्शन हुआ था। इस ऐड में मुझे एक भ्र्ष्ट वार्ड बॉय का किरदार मौका मिला। इसके बाद मैंने प्रदीप सरकार के साथ खूब काम किया।
फिर ? मे आई कम इन मैडम कैसा मिला ?
जैसा की मैंने बताया की मुझे प्रदीप सरकार के साथ मैंने कई सारे ऐड किये तो ऐसे ही एक दिन हमारे ऍफ़ आई आर , भाभी जी घर पर हैं और मे आई कम इन मैडम के डायरेक्टर शशांक बाली की नज़र मुझ पर पड़ी और उन्होंने अपने सीरियल ऍफ़ आई आर के एक एपिसोड के लिए मुझे बुला लिया। लेकिन उस एक एपिसोड में
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एक एड फिल्म में ईशा कोपरिकर के साथ |
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महिला के किरदार में |
हाँ, मैंने फँस गए रे ओबामा , मर्दानी , जयंता भाई की लव स्टोरी , रमैया वस्ता वैया और हिस्स जैसी फिल्में की हैं। फिल्मों के साथ साथ ऐड फिल्म्स भी खूब की हैं। इनमे स्वच्छता अभियान पर बने ऐड को खूब पसंद किया गया है।
आपके आगे के और क्या प्रोजेक्ट्स हैं ?
वैसे तो अपने सीरियल से ही वक़्त नहीं मिलता। लेकिन कभी कभी बीच बीच में कुछ थोड़ा बहुत कुछ कर लेता हूँ। अभी मैंने एक फिल्म की है रायता। इसे अभिनव देव ने डायरेक्ट किया है। इसमें मैं हिंदी फिल्म जगत के दिग्गज अभिनेता इरफ़ान खान के साथ काम कर रहा हूँ।ये एक ब्लैक कॉमेडी है। दरअसल ये पानी की समस्या और भविष्य में उपजे संकट के बारे में है। इसके अलावा एक फिल्म और है टाइपकास्ट। इसमें बुंदेलखंड की कहानी है। इस फिल्म में श्रेयस तलपड़े लीड रोल में हैं। मज़ेदार फिल्म है ये और मेरा रोल भी। इसको आप हॉटस्टार पर देख सकते हैं।
अपनी सफलता का श्रेय आप किसे देते हैं?
देखिये , मेरे गॉड फादर तो मेरे भाई साहब हैं। और मुझे इस मुक़ाम तक पहुंचाने में मेरे निर्देशक शशांक बाली और लेखक मनोज संतोषी जी का पूरा योगदान है। बाकि आप सभी दर्शकों का प्यार तो है ही।
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एड फिल्म के दौरान |
चलते चलते हमारे पाठकों को अपनी पसंद ना पसंद के बारे में कुछ बताइये।
जहाँ तक पसंद ना पसंदगी की बात है तो ये बहुत विस्तृत विषय है। लेकिन फिर भी कुछ चीज़ें मुझे बहुत अच्छी लगती हैं जैसे अपनी लोक संस्कृति। लोक कला , लोक गीत संगीत चाहे वो किसी प्रदेश का क्यों न हो। जहाँ तक खान पान की बात है तो भई मैं शुद्ध शाकाहारी हूँ। मुझे व्यायाम करना बहुत पसंद है। कितना भी बिजी शेड्यल क्यों न हो मैं अपनी रोज़ की एक्सरसाइज़ और योग करना नहीं भूलता।
प्रस्तुति: पूजा
Keep writing good command over language
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