ये
हौसले की उड़ान है....
सुबह जब
लड़कियॉ अपने काम पर निकलती है, तो शायद ही वो या उनके घरवालो को ये एहसास भी रहता होगा कि
वापस आते वक्त या काम पर कोई उनसे अंदर ही अंदर बदले की आग जलाये बैठा है। जिसका बदला
वो लड़कियो पर तेज़ाब फेंक कर लेता है। क्योकि किसी इंसान की पहचान उसके चेहरे से
होती है। चेहरा ही सबसे पहले उसके व्यक्तित्व का आईना होता है। और जब उसकी उसी पहचान
को समाप्त कर दिया जाता है, तब सोचा जा सकता है कि पीडिता पर उसका क्या
प्रभाव पडेगा। किसी महिला के ऊपर तेज़ाब फेंक कर उसके चेहरे को ही नही खत्म किया जाता, बल्कि इस तरह की घटना से उसकी अंतरात्मा तक को भी झक्झोर दिया जाता है।
लेकिन वो लोग भूल जाते है कि इंसान की खूबसूरती उसके चेहरे से नही बल्कि उसके
व्यवहार और जीवन के प्रति उसके नज़रिये से होती है। इसी उद्देश्य को लेकर अपने जीवन
मे आगे बढ रही है शीरोज हैंगआउट की एसिड अटैक सरवाइवर्स।
चेहरा बिना ढक कर
जीना सीखा
डांस करने का शुरु से ही शौक था। गाजीपुर मे रहने के दौरान फिल्मो मे काम किया
करती थी। लेकिन एसिड अटैक की घटना ने मेरी जिंदगी ही बदल दी। रुपाली (23) बताती है
कि फिल्मो मे चेहरा ही आपकी पहचान होता है। मगर जब उसी को खत्म कर दिया जाये तब
आपके पास कुछ भी नही बचता। बदला लेने के लिये कुछ लोग इस हद तक चले जाते है कि ऐसी
निक्रिष्ट काम को अंजाम दे देते है। इस घटना ने मुझे अपनो की सही पहचान करायी। परिवार
के ही लोगो ने जान से मारने की कोशिश की। लेकिन मेरी मॉ ने अपनो से लड़ कर मुझे नया
जीवन दिया। इलाज के दौरान ही उनकी मुलाकात शीरोज के सदस्यो से हुयी।“शीरोज से
जुडने के दौरान मैंने चेहरा बिना धके जीना सीखा।“ पिछले महीने ही रुपाली की शादी हुयी है। शादी भी
उनकी उससे ही हुयी जिससे वो बहुत प्यार करती है। जी हॉ इसी फरवरी मे वह प्रेम विवाह
के बंधन मे बंधी है। भविष्य को लेकर उन्होने बहुत से सपने संजोय है। जिसे पूरा करने
के लिये वो आगे बढ रही है।
पापा की तरह बनना है

जान से मरने की धमकी मिलती है, लेकिन हिम्मत नही हारी है
विमला (25) रायबरेली मे अपने पति और बच्चो के
साथ रहती थी। जब उनपर तेज़ाब डाला गया। कुछ दरिंदो ने उनका बलात्कार कर उनके पूरे शरीर
पर एसिड डाल दिया। आज भी वो लोग जान से मारने की धमकी देते है। कानून की सुस्त प्रक्रिया
चल रही है। उम्मीद है कभी ना कभी न्याय जरुर मिलेगा। शेरोज़ मे काम करने से उनको एक
छोटा सा परिवार यहॉ भी मिल गया है। जहॉ काम करने से पुरानी बातो को भुलाने की कोशिश
की जा रही है।
इस कैफे मे काम करने वाली इन महिलाओ
मे किसी ने अपनो से ये दर्द पाया है, तो किसी को ऐसे अन्जान ने तडपाया, जिसको वो कभी जानती भी नही
थी। मगर जीवन जीने के नये नज़रिये से आज वो सभी समाज मे अपनी पहचान बना रही है।
एसिड अटैक सरवाइवर्स रुपाली, जीतू, विमला और अस्मा
ही नही है, बल्कि आये दिन ऐसे हादसे लड़कियो के साथ होते रहते
है। उन्ही लड़कियो को उनकी पहचान दिलाने के लिये आगरा के बाद शेरोज़ हैग आउट लखनऊ मे
भी खोला गया। जहॉ ना केवल ये महिलाये अपनी ज़िंदगी बेहतर तरीके से जी रही है, साथ ही ऐसी तमाम महिलाओ को प्रेरित भी कर रही है। उनके इसी हौसले के लिये
इस साल विश्व महिला दिवस पर राष्ट्रपति द्वारा शेरोज़ हैंगआउट को “नारी शक्ति पुरस्कार”
से भी नवाजा गया है। ऐसे हौसलो को हम सलाम करते है।
रखते है जो हौसला आसँमा छूने का
उनको नही परवाह कभी गिर जाने की”
Supriya you done great job ...through this Article one can easily understand the actual pain of acid attack victims. we should try yo make them feel normal like others . A grand salute to these Shiraj Queens. And best wishes to your writing career.....
ReplyDeleteSupreb
ReplyDeleteBht khoob Supriya
ReplyDeleteNice Article..Good Job..
ReplyDeletethanks
DeleteBeautifully written Supriya. We really can't imagine their pain but really salute to these ladies.
ReplyDeletethanku unknown for reading this article so deeply.
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