ज़िन्दगी ना मिलेंगी दोबारा .....
रीतिका शुक्ला
"सावधानी हटी दुर्घटना घटी।" आखिर क्यों हमारे लिए सड़क हादसा एक ऐसा खतरा है जिससे कोई भी कभी भी सुरक्षित नहीं।आज सुबह ही मैंने एक रोड एक्सीडेंट देखा। घटनास्थल पर बहुत भीड़ थी , वहाँ पुलिस और एम्बुलेंस भी मौजूद थी ।जिस व्यक्ति का एक्सीडेंट हुआ था ,वो सड़क के किनारे पड़ा हुआ था। उस आदमी ने हेलमेट नहीं पहन रखा था। और अब उसे हेलमेट पहनने के आवश्यकता भी नहीं पड़ेगी क्योकि बहुत देर हो चुकी थी ।शायद हम में से अधिकांश लोग हेलमेट नहीं पहनते , बस चलान के भय से हेलमेट को हाथ में या साइड मिरर में तांग के चलते है । इस देश की यह सबसे बड़ी विडम्बना है कि यहाँ लोगो को अपने गलतियों का एहसास तो होता है, पर तब तक बहुत देर हो जाते है । हेलमेट का काम आपके सिर को बचाना है और मौत को आने में एक सेकेंड का भी टाइम नहीं लगता । आपने कभी सोचा है कि ऐसा हुआ तो क्या यमराज से बोलेगे..... ''भाई साहब जरा एक मिनट रुक जाइये मैं हेलमेट पहन लूँ ।'' आप भी लोग सोच रहे होंगे कि ये कैसे लड़की है जो मौत का मज़ाक बना रही है , पर ये कोई मजाक नहीं हकीकत है ।

आज से तीन महीने पहले मेरे साथ कुछ ऐसा हुआ , जिसने मेरे ज़िन्दगी को देखने का नजरिया बदल दिया । मौत क्या होती है ये मैं आज आपको बताऊँगी। वो दिन याद करके आज भी मेरी रूह कॉप जाती है....रोज की तरह मैं अपने स्कूटी से थी, उस दिन इतेफाक से मेरी दोस्त भी मेरे साथ थी। हम दोनों हाईवे पे थे जहाँ पर वो मुझे एक घटना के बारे में बता रही थी कि मैंने एक बस को एक लड़की को कुचलते हुए देखा था , तब से मुझे बस के बगल से गाडी निकालने में डर लगता है । वो जो बोल रही थी ,उसको नहीं पता था कि आज वही स्टोरी हमारे साथ होने वाली थी । जिस काम से हम गए थे, वो काम ख़तम करके घर लौट रहे थे कि बारिश होने लगी। मैं बारिश होने की वजह से आराम से स्कूटी चला रही थी कि अचानक स्पीड से आती एक ट्रक ने हमारे वाहन को ओवरटेक किया और देखते ही देखते मैं ट्रक के पहले पहिये के अंदर जा गिरी और मेरी स्कूटी भी ,उस वक़्त मुझे सिर्फ ट्रक का बड़ा सा पहिया और सड़क दिख रही थीं । सोचा कि क्या बस ऐसे ही मर जाएगे ,बहुत से काम है जो मुझे पूरे करने है उनका क्या होगा । मैं ऐसे कैसे मर सकती हूँ , तभी मुझे किसी ने उस पहिये से जल्दी से खींचा और तभी वो ट्रक वाला ट्रक ले के भाग गया ।सही समय पे अगर मेरी दोस्त और स्थानीय लोग मुझे न खींचते तो मेरी तस्वीर पे हार चढ़ा होता , और लोग कहते बड़ी अच्छी लड़की थी। थैंक गॉड कि ऐसा नहीं हुआ......नहीं तो आप लोग यू मजे से मेरा ब्लॉग कैसे पढ़ पाते ।ये तो मजाक था लेकिन सच में कोई और भी था जिसने उस दिन मेरी जान बचायी थी ,वो था मेरा हेलमेट। अगर उस दिन मैंने हेलमेट न पहना होता तो शायद मैं न बचती। खैर वहाँ एक सज्जन ने पुलिस को भी की कॉल किया लेकिन कोई नहीं आया वो ट्रक वाला भाग निकला। उस दिन एक बात समझ आये कि आम आदमी की ज़िन्दगी की कोई कीमत नहीं होती।उसको पूछने वाला कोई भी नहीं।
मुझे ये मौका मिला क्योकि मेरी किस्मत अच्छी थी ,लेकिन किस्मत हर बार मौका नहीं देती। आपने कभी सोचा है कि अगर आपको कुछ हो जाए तो आपके घर वालो का क्या होगा। वो आपका ज़िन्दगी भर इंतज़ार करते रहेगे।और मरने के बाद अपने परिवार को ऐसे तड़पते देखते, तो यही सोचते कि काश मैंने उस दिन हेलमेट पहना होता तो आज मैं अपनी फ़ैमिली के साथ बैठ के मूवी देख के खुश हो रहा होता। हम सबके पास एक आईना होता है ,जो हमको सच दिखाता है। बस ये हम पर निर्भर करता है की हम उसपे गौर करते है या देख के अनदेखा कर देते है। ज़िन्दगी आपको बार - बार मौका नहीं देगी ,अपने गलती को सुधाने का। तो आपसे गुज़ारिश है कि यातायात के नियमो का पालन करे ,क्योकि कोई आपका घर में इंतज़ार कर रहा है।
Nicely written Ritika, Keep it on..good luck,
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